भास्कर ठाकुर/सीतामढ़ी. ज्यादातर युवा बेहतरीन नौकरी करने का सपना देखते हैं, लेकिन हर किसी को नौकरी नहीं मिल पाती है। इससे युवा निराश हो जाते हैं और खुद को हारा हुआ मानते हैं. अब ऐसे युवाओं को निराश होने की जरूरत नहीं है. दरअसल, सरकार भी स्वरोजगार के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है. इससे युवा अपना रोजगार शुरू कर कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसमें मुर्गी के साथ-साथ बत्तख और मछली पालन करना बेहतर विकल्प है. आप शेड बनाकर मुर्गी और बत्तख पालन शुरू कर सकते हैं.

इस बीच, सीतामढी जिले के रीगा प्रखंड अंतर्गत भगवानपुर गांव निवासी किसान सुबोध यादव चर्चा में हैं. वह एक साथ मुर्गी, बत्तख और मछली का पालन कर रहे हैं। वर्तमान में उनके पास करीब 10 हजार की क्षमता वाला शेड और ढाई एकड़ जमीन में तालाब है। फिलहाल वह 5 हजार बत्तख और 1 हजार सोनाली मुर्गियां पालकर अच्छी कमाई कर रहे हैं.
एक दोस्त से आइडिया मिला और मुर्गी, बत्तख और मछली पालन शुरू कर दिया।
सुबोध यादव ने बताया कि पहले वह गन्ने की खेती करते थे, लेकिन खेती से हटकर कुछ बेहतर करने की सोच रहे थे. इसी बीच उन्हें अपने दोस्त पारू निवासी मुकुल सिंह से बत्तख और पोल्ट्री फार्म के साथ मछली पालन का आइडिया मिला. उनकी सलाह पर मैंने पंतनगर विश्वविद्यालय से तीन महीने का डिप्लोमा कोर्स किया, जिसमें मुझे बत्तख पालन और मछली पालन का प्रशिक्षण मिला। बकौल सुबोध, बत्तख पालन का फायदा यह है कि जिस तालाब में बत्तखें छोड़ी जाती हैं, उसमें मछली पालन भी हो रहा है। साथ ही मछली के लिए अलग से दाना डालने की भी जरूरत नहीं है. बत्तख के मल से भी मछलियाँ पाली जाती हैं। यह मछली के लिए फायदेमंद है. उनका दावा है कि बत्तखों को तालाब में छोड़ने से ऑक्सीजन का स्तर भी ठीक रहता है, जिससे मछलियों का विकास अच्छा होता है.
हर महीने तीन लाख रुपये की कमाई
सुबोध यादव ने बताया कि प्रतिदिन 2500 से अधिक बत्तख के अंडे का उत्पादन होता है. इसके अलावा मुर्गी से 800 अंडे प्राप्त होते हैं. व्यापारी खुद आकर 9 से 10 रुपये प्रति पीस की दर से बत्तख के अंडे ले जाते हैं. जबकि सोनाली प्रजाति के मुर्गी अंडे 12 रुपये प्रति पीस बिकते हैं. सुबोध यादव ने बताया कि बत्तख और पोल्ट्री फार्म शेड समेत मछली पालन के शुरुआती दौर में 35 लाख रुपये का खर्च आया. कई किसान शुरुआती खर्च देखकर उम्मीद छोड़ देते हैं, लेकिन जो धैर्यवान होते हैं वे भविष्य में बेहतर मुनाफा कमाते हैं। उन्होंने कहा कि 5 हजार की क्षमता वाले शेड से प्रतिदिन 10 हजार रुपये तक की कमाई हो रही है. अंडे और मछली मिलाकर हम हर महीने 3 लाख रुपये कमा लेते हैं. इसके अलावा फार्म हाउस में गांव के पांच लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराया गया है.
बिहार समाचार, खेती, मत्स्य पालन, लोकल18, सफलता की कहानी


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